ETV Bharat / state

झारखंड घोटाला कथा: बिना कोई काम हुए खर्च हो गए 21 करोड़, सच क्या है खंगाल रही ACB

झारखंड में पिछले कुछ सालों से जिस घोटाले की चर्चा अधिकतर समय पर होती है. उसका नाम है मैनहर्ट घोटाला. तकरीबन 16 साल पुराने इस घोटाला को लेकर राज्य में जमकर राजनीति होती है. आइए जानते हैं क्या है यह घोटाला

Jharkhand scam
डिजाइन इमेज
author img

By

Published : Aug 30, 2021, 6:04 AM IST

Updated : Aug 30, 2021, 6:36 AM IST

रांची: पिछले कुछ सालों से झारखंड की राजनीति में मैनहर्ट घोटाले की बहुत चर्चा होती रही है. विधानसभा चुनाव के दौरान भी यह घोटाला सुर्खियों में रहा. जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय विधायक सरयू राय इस घोटाला को लेकर काफी मुखर रहे हैं.

क्या है मैनहर्ट

दरअसल, झारखंड बनने के बाद 2003 में झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य की राजधानी रांची में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम को विकसित करने का आदेश दिया. उस समय रांची में सिवरेज-ड्रेनेज के लिए दो परामर्शी का चयन किया गया. लेकिन कुछ दिनों बाद सरकार बदल गई. 2005 में अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री बने और रघुवर दास नगर विकास मंत्री बनाए गए. रांची में सिवरेज-ड्रेनेज सिस्टम के लिए डीपीआर तैयार करने के लिए पहले से बहाल दोनों परामर्शी को हटा दिया गया. यह मामला कोर्ट में भी गया था.

ये भी पढ़ें- झारखंड घोटाला कथा: ...तो क्या एक और पूर्व मुख्यमंत्री की जेल यात्रा की लिखी जा रही है स्क्रिप्ट

अनियमितता का आरोप

2005 में रांची में सिरवरेज-ड्रेनेज निर्माण को लेकर डीपीआर बनाने के लिए सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया. आरोप के मुताबिक इस पर तकरीबन 21 करोड़ रुपए खर्च हुए, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ. इसकी जांच भी कराई गई लेकिन जांच रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. झारखंड की राजधानी रांची में सिवरेज-ड्रेनेज निर्माण के लिए डीपीआर तैयार करने के लिए जिस मैनहर्ट को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया, उसमें अनियमतता का आरोप है.

Jharkhand scam
मैनहर्ट घोटाला के बारे में जानकारी

एसीबी जांच के आदेश

2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान निर्दलीय उम्मीदवार सरयू राय ने इसे अपना चुनावी मुद्दा भी बनाया. चुनाव जीत जाने के बाद उन्होंने इस मामले की जांच के लिए कई बार मुख्यमंत्री से मांग भी की. अक्टूबर 2020 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मैनहर्ट मामले की जांच एसीबी को सौंप दी. एसीबी ने नवंबर 2020 के पहले हफ्ते में प्रारंभिक जांच दर्ज की. मैनहर्ट घोटाला में झारखंड एसीबी ने जून 2021 के तीसरे हफ्ते में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत कुछ लोगों को नोटिस भेजकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा.

'लम्हों की खता'

सरयू राय ने अपनी किताब लम्हों की खता में भी मैनहर्ट नियुक्ति घोटाला का जिक्र किया और रघुवर दास पर झारखंड को बदनाम करने का आरोप लगाया. उन्होंने लिखा कि रघुवर दास ने अपने निहित स्वार्थों के लिए ओआरजी को हटाया जिससे राज्य सरकार को वित्तीय नुकसान झेलना पड़ा. सरयू राय ने रघुवर दास पर जनता की कठिनाइयों को बढ़ाने और बीजेपी को भी बदनाम करने का आरोप लगाया.

Jharkhand scam
मैनहर्ट घोटाला के बारे में जानकारी

ये भी पढ़ें- ACB करेगी रघुवर सरकार के कार्यकाल की कई योजनाओं की जांच, सरकारी महकमे में हड़कंप

ईमानदारी का चोला ओढ़ने वाले होंगे बेनकाब

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मामले पर किसी का नाम लिए बगैर कहा कि ईमानदारी का चोला ओढ़कर भ्रष्टाचार के नाले में डुबकी लगाने वाले का चेहरा जल्द बेनकाब हो जाएगा. वैसे शख्स को मुंह छुपाने की भी जगह नहीं मिलेगी. रघुवर दास का कहना है कि कुछ लोग राजनीतिक रोटी सेंककर अपना गुजारा कर रहे हैं. 2005 से लेकर अब तक इस मामले में आरोपों के अलावा कुछ नहीं मिला. इस बीच कई सरकारें आईं और गईं. रघुवर दास का कहना है कि 2011 में हाई कोर्ट के आदेश के बाद कंपनी को भुगतान किया गया था. उस समय अर्जुन मुंडा झारखंड के मुख्यमत्री और हेमंत सोरेन वित्त मंत्री थे. रघुवर दास का कहना है कि वह चाहते हैं कि इस मामले की निष्पक्षता से जांच हो जानी चाहिए ताकि इस मामले को लेकर अपनी राजनीति चमकाने वाले को जवाब मिल जाए.

ईटीवी भारत आपको हर ऐसे घोटाले के बारे में बता रहा है. यह घोटाला कैसे हुआ, सरकारी खजाने को कितने का चूना लगा, किसने सरकारी खजाने को लूटा... ये सभी सिलसिलेवार तरीके से आपको बता रहा है. झारखंड घोटाला पार्ट-2 में हम आपको ऐसे ही एक बड़े घोटाला के बारे में विस्तार से बताएंगे.

रांची: पिछले कुछ सालों से झारखंड की राजनीति में मैनहर्ट घोटाले की बहुत चर्चा होती रही है. विधानसभा चुनाव के दौरान भी यह घोटाला सुर्खियों में रहा. जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय विधायक सरयू राय इस घोटाला को लेकर काफी मुखर रहे हैं.

क्या है मैनहर्ट

दरअसल, झारखंड बनने के बाद 2003 में झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य की राजधानी रांची में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम को विकसित करने का आदेश दिया. उस समय रांची में सिवरेज-ड्रेनेज के लिए दो परामर्शी का चयन किया गया. लेकिन कुछ दिनों बाद सरकार बदल गई. 2005 में अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री बने और रघुवर दास नगर विकास मंत्री बनाए गए. रांची में सिवरेज-ड्रेनेज सिस्टम के लिए डीपीआर तैयार करने के लिए पहले से बहाल दोनों परामर्शी को हटा दिया गया. यह मामला कोर्ट में भी गया था.

ये भी पढ़ें- झारखंड घोटाला कथा: ...तो क्या एक और पूर्व मुख्यमंत्री की जेल यात्रा की लिखी जा रही है स्क्रिप्ट

अनियमितता का आरोप

2005 में रांची में सिरवरेज-ड्रेनेज निर्माण को लेकर डीपीआर बनाने के लिए सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया. आरोप के मुताबिक इस पर तकरीबन 21 करोड़ रुपए खर्च हुए, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ. इसकी जांच भी कराई गई लेकिन जांच रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. झारखंड की राजधानी रांची में सिवरेज-ड्रेनेज निर्माण के लिए डीपीआर तैयार करने के लिए जिस मैनहर्ट को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया, उसमें अनियमतता का आरोप है.

Jharkhand scam
मैनहर्ट घोटाला के बारे में जानकारी

एसीबी जांच के आदेश

2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान निर्दलीय उम्मीदवार सरयू राय ने इसे अपना चुनावी मुद्दा भी बनाया. चुनाव जीत जाने के बाद उन्होंने इस मामले की जांच के लिए कई बार मुख्यमंत्री से मांग भी की. अक्टूबर 2020 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मैनहर्ट मामले की जांच एसीबी को सौंप दी. एसीबी ने नवंबर 2020 के पहले हफ्ते में प्रारंभिक जांच दर्ज की. मैनहर्ट घोटाला में झारखंड एसीबी ने जून 2021 के तीसरे हफ्ते में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत कुछ लोगों को नोटिस भेजकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा.

'लम्हों की खता'

सरयू राय ने अपनी किताब लम्हों की खता में भी मैनहर्ट नियुक्ति घोटाला का जिक्र किया और रघुवर दास पर झारखंड को बदनाम करने का आरोप लगाया. उन्होंने लिखा कि रघुवर दास ने अपने निहित स्वार्थों के लिए ओआरजी को हटाया जिससे राज्य सरकार को वित्तीय नुकसान झेलना पड़ा. सरयू राय ने रघुवर दास पर जनता की कठिनाइयों को बढ़ाने और बीजेपी को भी बदनाम करने का आरोप लगाया.

Jharkhand scam
मैनहर्ट घोटाला के बारे में जानकारी

ये भी पढ़ें- ACB करेगी रघुवर सरकार के कार्यकाल की कई योजनाओं की जांच, सरकारी महकमे में हड़कंप

ईमानदारी का चोला ओढ़ने वाले होंगे बेनकाब

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मामले पर किसी का नाम लिए बगैर कहा कि ईमानदारी का चोला ओढ़कर भ्रष्टाचार के नाले में डुबकी लगाने वाले का चेहरा जल्द बेनकाब हो जाएगा. वैसे शख्स को मुंह छुपाने की भी जगह नहीं मिलेगी. रघुवर दास का कहना है कि कुछ लोग राजनीतिक रोटी सेंककर अपना गुजारा कर रहे हैं. 2005 से लेकर अब तक इस मामले में आरोपों के अलावा कुछ नहीं मिला. इस बीच कई सरकारें आईं और गईं. रघुवर दास का कहना है कि 2011 में हाई कोर्ट के आदेश के बाद कंपनी को भुगतान किया गया था. उस समय अर्जुन मुंडा झारखंड के मुख्यमत्री और हेमंत सोरेन वित्त मंत्री थे. रघुवर दास का कहना है कि वह चाहते हैं कि इस मामले की निष्पक्षता से जांच हो जानी चाहिए ताकि इस मामले को लेकर अपनी राजनीति चमकाने वाले को जवाब मिल जाए.

ईटीवी भारत आपको हर ऐसे घोटाले के बारे में बता रहा है. यह घोटाला कैसे हुआ, सरकारी खजाने को कितने का चूना लगा, किसने सरकारी खजाने को लूटा... ये सभी सिलसिलेवार तरीके से आपको बता रहा है. झारखंड घोटाला पार्ट-2 में हम आपको ऐसे ही एक बड़े घोटाला के बारे में विस्तार से बताएंगे.

Last Updated : Aug 30, 2021, 6:36 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.